इस्कॉन के प्रचारक अमोघ लीला प्रभु द्वारा जारी वीडीओ क्लिप का जवाब


*सनातन धर्म का मज़ाक उड़ाए जाने पर इस्कॉन के प्रचारक अमोघ लीला प्रभु द्वारा जारी वीडीओ क्लिप का जवाब:*

1) प्रचारक कहते हैं की भारत के अंदर धर्म की शिक्षा, एज्यूकेशन सिस्टेमैटिकली प्रेझेंट नहीं किया जाता। भारत का हिन्दू इस लिए हिन्दू है की उस ने हिन्दू परिवार में जन्म लिया। उसे गीता, वेद, उपनिषद आदि के बारे में पता नहीं रहता इस कारण अपना धर्म, संस्कृति कितनी गौरवशाली है इस का पता नहीं होता और कोई भी आकर उसे उल्लू बना देता है। *लेकिन ये प्रचारक ये नहीं बताते की इस में क्या गौरवशाली है? आज की तारीख में ये गीता, वेद, उपनिषद आदि कितने समयोचित हैं? आज इसे पढ़कर किसे क्या लाभ होगा? जिस संस्कृति में और धर्म में छुआछूत जैसी घिनौनी और इंसानियत को शर्मसार करने वाली प्रथा है, जाति-आधारित उंच-नीच भेदभाव है, महिलाओं का स्थान केवल शूद्र और पशु जैसा है (ढ़ोल, गँवार, शूद्र पशु नारी, ये सब ताड़न के अधिकारी: तुलसीदास), ऐसा धर्म और संस्कृति गौरवशाली कैसे हो सकती है? इस पर प्रचारक सुविधाजनक मौन साधे हुए हैं। ऐसी संस्कृति पढ़ाने वाले ग्रंथ ना ही पढे तो अच्छा है।* 

2) प्रचारक कहते हैं की हमारे यहाँ पहले गुरुकुल हुआ करते थे जो ब्रिटीशर्स ने डिमोलिश कर दिये, यह सिस्टीम डिफ्यूज कर दिया और सिस्टेमैटिकली कल्चर पढ़ाने वाले गुरु बदनाम हो गए। और सिस्टेमैटिक शिक्षा बंद हुई। *लेकिन प्रचारक की यह बात मनगढ़ंत लगती हैं। क्यों की इस के प्रसारक ने कोई सबूत पेश नहीं किए हैं। दूसरी बात, इन गुरुकुलों में ओबीसी (मतलब शूद्र), एससी और एसटी (मतलब अति शूद्र) प्रवर्ग के याने 80 प्रतिशत हिन्दू बहुजन समाज के युवाओं के प्रवेश पर धार्मिक मान्यताओं के अनुसार संपूर्ण पाबंदी थी। इतना ही नहीं, वेद आदि पढ़ने पर या केवल उस के उच्चारण करने पर भी शूद्रों को मनुस्मृति के नियमों के अनुसार अमानवीय सजाएँ दी जाती थी। तो ये गुरुकुल बहुजन लोगों के किस काम के थे और कौन सी सिस्टेमैटिक धार्मिक शिक्षा देते थे? असल में, ब्रिटीशर्सने यह परंपरा खंडित किए बिना सभी जाति-धर्मों के लोगों के लिए शिक्षा खुली कर दी थी और देश में समता का युग लाया था। हालाँ की इस के बावजूद भी छूआछूत के चलते, डॉ बाबासाहेब आंबेडकर को बचपन में अपनी शिक्षा क्लास-रूम के बाहर बैठ कर प्राप्त करनी पड़ी थी, यह इतिहास है। दूसरी बात, अंग्रेजों ने भारत में अपनी नीव पक्की बनाई वर्ष 1818 के युद्ध में जीत हासिल करने के बाद! और उस के बाद उन्हों ने अपने लिए सुविधाजनक (अपने लिए लिपिक/अधिकारी  तैयार करने वाली) शिक्षा प्रणाली आरंभ की। तब तक तो गुरुकुल प्रणाली जरूर अस्तित्व में होगी! तो फिर ऐसा क्या हुआ की गुरुकुल प्रणाली बंद करनी पड़ी। ब्रिटिश लोगों ने तो अपने काम में आने वाले लोग निर्माण करने के लिए नयी शिक्षा प्रणाली लायी। इस प्रणाली का अधिक से अधिक लाभ किसने (किस जाति ने) लिया? सरकारी दफ्तरों में जगह पाने के लिए गुरुकुल में पढ़ने वाले लोगों ने गुरुकुलों का त्याग किया होगा और ब्रिटिश शिक्षा प्रणाली अपनाई होगी,  यह अनुमान लगाने के लिए जगह जरूर बनती है। अतः, अपने नीजी स्वार्थ के लिए स्वयंही गुरुकुल प्रणाली बंद करना और उस का टिकट ब्रिटीशों पर फाड़ना यह तो धोखेबाज़ी हैं! तात्पर्य, ब्रिटीशों ने कोई गुरुकुल नष्ट नहीं किए, बल्कि सरकारी नोकरी पाने के लिए गुरुकुल में पढ़ने वाले लोग ब्रिटिश प्रणाली में शिक्षा लेने लगें। ऐसी स्थिति में गुरुकुल का कोई औचित्य नहीं बचाता था। 

3) प्रचारक कहते हैं, मुस्लिम्स के पास उन के कुरान की, क्रिश्चियन्स के पास बाइबिल की कॉपी होती है। लेकिन हम हिंदुओं के पास भगवद्गीता की पर्सनल कॉपी नहीं होती। सो, देट वेज, हमारे स्क्रिपचर्स को ना पढ़ना जो की हमारी संस्कृति के मूल्यों के मन्युयल्स है भक्ति कल्चर, श्रीमद्भाग्वतम सब से सुंदर है, भगवद्गीता ग्राजुएशन है भागवतम पोस्ट ग्राज्यूएशन है। लेकिन हम सनातन धर्म को ले कर स्कूलिंग भी नहीं कर रहे हैं। *मुस्लिम, ईसाई धर्म का जिस प्रकार अपना स्वयं एक ही धर्म ग्रंथ होता है, उस प्रकार हिंदुओं के लिए कौनसा एक सर्वमान्य धर्मग्रंथ है? भगवद्गीता तो महाभारत का एक अंश है। वह भगवान कृष्ण ने युद्धभूमि पर अर्जुन को किया हुआ उपदेश है। वह इस लिए की अर्जुन युद्धभूमि पर अपने ही रिश्तोदारों से लड़ने मे झिझक रहे थे। अगर भगवद्गीता धर्मग्रंथ है यह माना जाये तो वेद, पुराण, स्मृति, श्रुति आदि क्या है? भगवद्गीता पढ़ कर कोई अपना करियर नहीं बना सकता (सिवाय, गीता प्रचारक के)। असल में, सभी धर्मों के स्क्रिपचर अब समय के अनुसार काल-विसंगत सिद्ध हो रहे हैं। उन के अनुसार आज के युग में चलना असंभव है। और यह जरूरी नहीं की हिन्दू धर्म की तुलना इस्लाम और ईसाई धर्म से की जाए। *

4) प्रचारक बहुत दुखी हो कर लिखते हैं, मीडिया में अगर चाहे स्टैंड अप कमेडियन हो, अगर वो किसी हिन्दू डेईटी का मज़ाक उड़ाता है, भगवान का, स्क्रिपचर्स का मज़ाक उड़ता है, तो तालियाँ बजती है, 'वेरी गुड' बहुत बढ़िया, क्या बात है। स्टैंड अप कमेडियन हो या फिर पीके, ओह माय गॉड जैसी मूवीज हो। *लेकिन ऐसा प्रतीत होता है की प्रचारक महोदय ने पीके, ओह माय गॉड जैसी मूवीज देखी ही नहीं है। क्यों की इन मूवीज में ठगी करने वाले बाबाओं का भंडाफोड़ कर दिया है। धर्म और संस्कृति की विसंगतियाँ लोगों के सामने लायी हैं। इस में क्या गलत हैं? लोग तो बिलकुल इस पर हंसेगे और 'वेरी गुड.....' कहेंगे।  असल में, समय के साथ, नए नए वैज्ञानिक अनुसन्धानों के बाद और समाज सुधारकों के प्रयासों के कारण धर्म और संस्कृति में बदलाव होना यह हिन्दू संस्कृति की विशेषता है। हमारे शास्त्रों के अनुसार पृथ्वी गोल नहीं बल की समतल हैं और वह शेषनाग के सर पर स्थिर हैं। हमारा ज्योतिष शास्त्र सूर्य इस सितारे को और चंद्र इस उपग्रह को ग्रह मानता है। लेकिन आज इसे सही मानना तो केवल मूर्खता ही होगी। इस प्रकार के और अन्य बातों पर कोई अडिग रहे की ये सच है, तो उस की मूर्खता का मज़ाक उड़ाने में क्या गलत हैं? अवैज्ञानिक, बेतुकी बातों का तो मज़ाक उड़ाया जाना बिलकुल जायज है।  गैलीलियो ने कहा था की पृथ्वी गोल है, लेकिन बाइबिल तो कहता था की पृथ्वी समतल है। इस लिए गॅलिलिओ को सजा दी गयी थी। लेकिन पिछली सदी में ईसाई पोप ने इस गलती के लिए गैलीलियो से माफी मांगी थी। इसे कहते हैं समय के साथ बदलना। इस में कोई गलत नहीं हैं। लेकिन बदलाव के लिए इंकार करना और देश को 17वीं सदी में ले जाना, इस देश के लिए हानिकारक है। इस से देश का नाम भी दुनियाभर में बदनाम हो जाता है।* 

*अतः, इन प्रचारक महोदय की बेतुकी बातों पर ध्यान मत दीजिये। विवेक की राह अपनाईयें। माननीय न्यायालय ने भी कहा है की हिन्दू धर्म एक जीवन पद्धति है। इस बात का खयाल रखिए। केवल धर्मग्रंथ पढ़ने से कोई हिन्दू और नहीं पढ़ने से कोई अहिन्दु नहीं बनाता। अगर ऐसा होता तो 80 प्रतिशत हिन्दू बहुजन, जो कथित धर्म ग्रंथ के पठन से कई सदियों से दूर रखे गए, हिन्दू हो ही नहीं सकते।* 
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टिप्पण्या

  1. हिंदू धर हा एकमेव धर्म आहे जो आपल्यातील अनिष्ट प्रथा परंपरा यांचे निर्दालन करतो जसे सती प्रथा विधवा केशवपन ..मोडीत हिंदू धर्मीय लोकांनीच काढल्या आहेत .इतर कोणताही धर्म सुधारणा करण्यास तयार असलेला दिसत नाही .. हिंदू धर्म हा वैयक्तिक पालन केला जातो.हिंदू धर्म इतर धर्माचा आदर करायला शिकवतो ..विश्व स्वधर्म सूर्य पहो ..विश्व हिंदू धर्म सूर्य पाहो म्हणत नाही .. कुणाचे ही जबरदस्ती धर्मांतरण करत नाही ..गर्व से कहो हिंदू है.

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  2. हिंदू हा एक धर्म नसून एक सांप्रदाय आहे.
    खरा धर्म हा मानव धर्म आहे

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  3. प्रथम पोस्ट टाकणारे हे धर्मांध असतील ही कदाचित पण या ब्लॉग वर त्याचे उत्तर म्हणून प्रथम लिहिणारे हे धर्मविरोधी दिसत आहेत । हिंदू संस्कृतीचे अपूर्ण ज्ञान त्यांच्या उत्तर नावाच्या टिप्पणी युन दिसते। परिवर्तन संसार का नियम है असे श्री भगवान श्रीकृष्णांनी संगीतले आहे व तसे बदल हे विद्वानांनी , समाजाने केले आहेत तसे दुसऱ्या जिहादी धर्मात दिसते का? तेव्हा परत परत जुन्या रूढी समोर ठेवून हिंदू धर्म विरोधी अपशब्द बोलणे हे अज्ञान व्यक्ती चे कार्य दिसत आहे। आज जर समाज मानव धर्म मानत असेल तर अजून ही असंख्य अत्याचार हे प्रत्येक धर्म समाज च्या मुलीवर, आर्थिक दुर्बल व्यक्तीवर होताना का दिसत आहेत?
    याला कुठला धर्म जबाबदार आहे की अत्याचार करणारी व्यक्ती व तिला मिळणारे संस्कार ?

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  4. चला उत्तर दे देऊया हा ग्रुप हिंदू संस्कृती हिंदू धर्म या विषयक पोस्ट वरच मूळ पोस्टमध्ये तोडमोड करून त्यावर स्वतःच उत्तर देतोय इतर धर्मीयांबाबत कोणत्याच पोस्टवर हा ग्रुप उत्तर देत नाही यावरून हा ग्रुप हिंदू विरोधी असल्याचे समजून येते

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